नई दिल्ली, 07 फरवरी।इंद्रप्रस्थ महिला महाविद्यालय ने भारत के माननीय उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ की गरिमामयी उपस्थिति में अपना शताब्दी समारोह 07 फरवरी को मनाया। इस अवसर पर भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ बतौर मुख्यातिथि उपस्थित रहे। शताब्दी समारोह को संबोधित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि सौ साल की यात्रा कभी भी आसान नहीं होती। इस दौरान उनके साथ उनके साथ उनकी पत्नी श्रीमती (डॉ.) सुदेश धनखड़ भी उपस्थित रही। दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह और महाविद्यालय की गवर्निंग बॉडी के अध्यक्ष आलोक बी. श्रीराम बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे।
सौ साल की यात्रा कभी भी आसान नहीं होती: जगदीप धनखड़
अपने संबोधन में, उपराष्ट्रपति ने शिक्षा और सामाजिक प्रगति में इसके स्थायी योगदान पर जोर देते हुए, इंद्रप्रस्थ महाविद्यालय की स्मारकीय विरासत की सराहना की। उन्होंने टिप्पणी की, “सौ साल की यात्रा कभी भी आसान नहीं होती है, लेकिन इस संस्थान के पास सराहनीय उपलब्धियों, उच्च साख के साथ एक सदी की यात्रा तय करने का रिकॉर्ड है, जिससे हर कोई गौरवान्वित है। यह संस्थान परिवर्तन का केंद्र है, नए भारत के निर्माण का तंत्रिका केंद्र है।” अपनी टिप्पणी में उन्होंने आगे कहा, “मैं आपको भारतीय संसद के नए भवन में अपने अतिथि के रूप में आमंत्रित करता हूं। आप इसके परिवर्तन को देखकर चकित रह जाएंगे।”
दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने अपने संबोधन के दौरान पिछले साल दिल्ली विश्वविद्यालय के 100 साल पूरे होने और इस वर्ष आईपी कॉलेज के 100 वें वर्ष तथा विभिन्न क्षेत्रों में इसकी अभूतपूर्व वृद्धि पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने विश्वविद्यालय की समग्र शैक्षणिक उत्कृष्टता में कॉलेजों के योगदान की प्रशंसा की। महाविद्यालय के चेयरमैन आलोक बी. श्रीराम ने कहा, “आईपी कॉलेज के नाम पर कई चीजें पहली बार दर्ज की गई हैं, दिल्ली विश्वविद्यालय में सभी लड़कियों के कॉलेजों में यह पहला गर्ल्स कॉलेज है।”
महाविद्यालय की प्राचार्या प्रो. पूनम कुमरिया ने 100 वर्षों में इंद्रप्रस्थ कॉलेज की व्यापक भावना और उपलब्धियों पर विचार व्यक्त किया। उन्होंने कहा, “इंद्रप्रस्थ कॉलेज ने अपनी तरह के पहले W-20 सेमिनार “नारायणी नमोस्तुते” के माध्यम से महिला सशक्तिकरण की भावना को गर्व से प्रदर्शित किया है।”
गौरतलब है कि इस महाविद्यालय की शुरुआत सन् 1904 में किनारी बाजार, चांदनी चौक की गली अनार में ‘इंद्रप्रस्थ पुत्री पाठशाला’ के रूप में हुई थी। यह कॉलेज महिला शिक्षा के लिए देश का अग्रणी संस्थान है जिसकी भव्यता दिल्ली विश्वविद्यालय के पहले महिला कॉलेज के रूप में है। आज के शताब्दी समारोह में कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से इंद्रप्रस्थ कॉलेज की वर्षों की गौरवशाली यात्रा को प्रदर्शित किया गया, जो जीवंत सांस्कृतिक प्रदर्शन और कृतज्ञता की अभिव्यक्तियों के माध्यम से देखी गई है। करीब 4000 से अधिक छात्राओं और पूर्व छात्राओं तथा संकाय सदस्यों के प्रयास से यह सांस्कृतिक कार्यक्रम और भी भव्य हो गया। जैसे-जैसे कॉलेज अगली शताब्दी में अपनी यात्रा शुरू कर रहा है, यह सामाजिक जिम्मेदारी और देशभक्ति के आदर्शों को कायम रखते हुए महिलाओं को सशक्त बनाने और नवाचार की भावना को बढ़ावा देने के अपने मिशन पर दृढ़ है।