देहरादून। देश के विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों में होने वाले छात्र संघ चुनाव में विभिन्न पदों पर एक बार से अधिक चुनाव लड़ने पर लगी पाबंदी हटाने को लेकर श्रीनगर निवासी सामाजिक कार्यकर्ता नवीन प्रकाश नौटियाल व अन्य ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है। इस याचिका पर 12 फरवरी को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और यूजीसी से इस संदर्भ में जवाब मांगा है। इस संदर्भ में अगली सुनवाई 10 अप्रैल को होनी प्रस्तावित है।
याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि लिंगदोह कमेटी की रिपोर्ट अधिकांश पहलुओं पर प्रशंसनीय होने के बावजूद इसमें छात्रों को चुनाव लड़ने की स्वतंत्रता पर पाबंदी लगाने का विवादित नियम लागू किया गया है। इस संदर्भ में अगली सुनवाई 10 अप्रैल को होनी प्रस्तावित है। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि लिंगदोह कमेटी की रिपोर्ट अधिकांश पहलुओं पर प्रशंसनीय होने के बावजूद इसमें छात्रों को चुनाव लड़ने की स्वतंत्रता पर पाबंदी लगाने का विवादित नियम लागू किया गया है। सिफारिशें देने के लिए पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त जेएम लिंगदोह को अध्यक्ष बनाया गया था। इस कमेटी ने 26 मई 2006 को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी।
इसमें यह भी कहा गया है कि एक उम्मीदवार को पदाधिकारी पद के लिए चुनाव लड़ने का एक मौका मिलेगा और कार्यकारी सदस्य के पद के लिए चुनाव लड़ने के दो अवसर मिलेंगे। उन्होंने बताया कि पैनल के गठन के पीछे का उद्देश्य छात्र राजनीति से आपराधिकता और धनबल को दूर करना था। इसलिए रिपोर्ट में शामिल सिफारिशों को 22 सितंबर 2006 के बाद से होने वाले छात्रसंघ चुनावों के लिए सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों पर लागू कर दिया गया। नौटियाल ने बताया कि याचिका में उन्होंने इस तरह के प्रावधान को पूरी तरह से मनमाना और भेदभावपूर्ण बताया है। क्योंकि यह संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है। यह भी कहा गया कि सिफारिश दोहरी शर्तों को पूरा नहीं करती।