शिक्षा के माध्यम से खुलते हैं प्रगति के द्वार: उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़
1962 में स्थापित हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के दूरस्थ एवं सतत शिक्षा विभाग, मुक्त शिक्षण विद्यालय (एसओएल), मुक्त शिक्षण परिसर ने अपना 62वां स्थापना दिवस विश्वविद्यालय के कन्वेंशन हाल में सोमवार, 06 मई को मनाया। “विकसित भारत के निर्माण में मुक्त शिक्षा का योगदान” थीम के साथ आयोजित इस समारोह में भारत के माननीय उपराष्ट्रपति एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलाधिपति श्री जगदीप धनखड़ ने बतौर मुख्य अतिथि संबोधित किया। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि शिक्षा उस ताले की कुंजी है जिसके माध्यम से प्रगति के द्वार खुलते हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने बताया कि दिल्ली में 60% चार्टेड अकाउंटेंट (सीए) एसओएल के विद्यार्थी हैं। बहुत से वकील, सिविल सर्वेंट, शिक्षक और राजनेता भी एसओएल के विद्यार्थी रहे हैं।
मुख्य अतिथि श्री जगदीप धनखड़ ने अपने संबोधन में आगे कहा कि शिक्षा समाज में सबसे बड़े बदलाव का केंद्र है। शिक्षा आप को ज्ञान की पहुँच देती है। शिक्षा प्राप्ति में मुक्त शिक्षा अद्वितीय है। यह हमारी सांस्कृतिक विरासत भी है। उन्होंने कहा कि प्राचीन भारत शिक्षा और ज्ञान का गुरु रहा है। तब दुनिया हमारी ओर देखती थी। पाँचवीं से 13वीं शताब्दी तक हमारी पहचान शिक्षा और ज्ञान के प्रमुख केंद्र की थी। 13वीं शताब्दी के बाद परिवर्तन क्यों आया और आज भारत क्यों करवट ले रहा है, इसे समझने की जरूरत है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्राचीन शिक्षा पद्धति में दो खाशियतें नज़र आती हैं, औपचारिक शिक्षा और अनौपचारिक शिक्षा। गुरुकुल औपचारिक शिक्षा के माध्यम थे तो परिवार अनौपचारिक शिक्षा के माध्यम थे। आज ये काम संस्थागत तरीके से एसओएल कर रहा है। इसने अनौपचारिक शिक्षा को औपचारिक शिक्षा के समकक्ष कर दिया है।
श्री जगदीप धनखड़ ने कहा कि सदियों बाद आज का भारत तीव्र गति से चल रहा है। उन्होंने विश्वास जताया कि कोई शंका नहीं है कि हम 2047 में विकसित भारत देखेंगे। उन्होंने 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने को लेकर कहा कि यह बहुत बड़ा यज्ञ है। इसमें हर कोई आहुति दे रहा है। एसओएल भी इसे एक नया आयाम दे रहा है। यह उन्हें शिक्षा देकर इसमें भागीदार बना रहा है, जो किसी कारण से चाह कर भी इसमें भागीदार नहीं हो पा रहे थे। एसओएल ने उन्हें रोशनी दिखाई है और अब वो देश और दुनिया को रोशनी दिखा रहे हैं। उपराष्ट्रपति ने कहा कि सबसे बड़ा दान और सबसे बड़ा अधिकार शिक्षा है। विकसित राष्ट्र के लिए शिक्षा ही एकमात्र माध्यम है। उन्होंने कहा कि हम सब एक मैराथन मार्च का हिस्सा हैं। एक महान यज्ञ में आहुति दे रहे हैं। इसमें पूर्णाहुति 2047 में डाली जाएगी जब भारत विकसित राष्ट्र बन चुका होगा।
मुख्य अतिथि ने कहा कि शिक्षा की वजह से भारत की अर्थव्यवस्था बदल रही है। इसमें आमजन का पसीना है। आज महिलाएं खुद काम कर रही हैं और अन्य लोगों को भी काम दे रही हैं। भारत दुनिया के अग्रणी गिने चुने देशों में शामिल हो चुका है। उन्होंने कहा कि आज का भारत ताकत में इंग्लैंड से ज्यादा है। आज का भारत 2-3 साल में जापान और जर्मनी को पीछे छोड़ देगा। कुलाधिपति ने कहा, “हमें याद रखना चाहिए कि विफलता किसी चीज का नाम नहीं है। विफलता में सफलता की कुंजी देखें।” उन्होंने 23 अगस्त 2023 को चंद्रयान 3 की सफलता का उदाहरण देते हुए कहा कि यदि चंद्रयान-2 न होता तो 3 भी न होता।
दिल्ली में 60% सीए हैं एसओएल के विद्यार्थी: कुलपति प्रो. योगेश सिंह
इस अवसर पर डीयू कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने बताया कि 1962 में एसओएल 900 विद्यार्थियों एवं मानविकी और कॉमर्स जैसे दो विषयों के साथ शुरू किया गया था। आज 2024 में एसओएल में करीब 4 लाख विद्यार्थी 17 से अधिक कोर्सों में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि अब एसओएल में अकेले बीए प्रोग्राम में ही एक लाख 80 हजार विद्यार्थी शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। कुलपति ने बताया कि एसओएल का पाठ्यक्रम और परीक्षा का पैटर्न नियमित वाला ही है, केवल शिक्षण का तरीका अलग है। उन्होंने कहा कि विकसित भारत का सबसे शक्तिशाली उपकरण शिक्षा है। सब तक शिक्षा पहुंचे, इसके लिए मुक्त शिक्षा का बहुत अधिक महत्व है। एसओएल इसे बखूबी निभा रहा है। कुलपति ने कहा कि मुक्त और दूरस्थ शिक्षा की सीमाएं एनसीआर तक सीमित हैं, जबकि अब ऑनलाइन शिक्षा के द्वारा हम सम्पूर्ण ग्लोब में पहुँच बना सकते हैं।
8.5 सीजीपीए लाने वाली महिला विद्यार्थी की फीस होगी माफ
कार्यक्रम के आरंभ में एसओएल की निदेशक प्रो. पायल मागो ने अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने अतिथियों का औपचारिक परिचय कराने के साथ-साथ एसओएल के बारे में भी जानकारी प्रस्तुत की। इस अवसर पर प्रो. पायल मागो ने घोषणा की कि शैक्षणिक सत्र 2024-25 से एसओएल की जो भी महिला विद्यार्थी 8.5 सीजीपीए लाएंगी उनकी आगामी वर्ष की पूरी फीस माफ की जाएगी। उन्होंने बताया कि डीयू एसओएल सेल्फ सफिशिएंट और फंडेड है। सरकार से कोई भी सहायता न लेते हुए भी इसने पिछले शैक्षणिक सत्र में दो करोड़ रुपए की धनराशि से गरीब विद्यार्थियों को स्कालरशिप दी है।
एसओएल की 3 छात्राओं किया गया पुरस्कृत
एसओएल के स्थापना दिवस समारोह के दौरान एसओएल के तीन विद्यार्थियों को भी उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ द्वारा सम्मानित किया गया। बी.ए. लाइब्रेरी साइंस में दिल्ली विश्वविद्यालय की टॉपर रही सुश्री पायल सिंह तथा एम.ए. राजनीति विज्ञान की टॉपर रही सुश्री नैन्सी गोयल को प्रमाणपत्र एवं स्मृति चिन्ह देकर पुरस्कृत किया गया। इनके अलावा अर्जुन पुरस्कार विजेता एसओएल की छात्रा सुश्री दीक्षा डागर को भी सम्मानित किया गया। सुश्री दीक्षा डागर की अनुपस्थिति में उनकी माता जी ने सम्मान ग्रहण किया।