वित्तीय वर्ष 2024-2025 के लिये दिल्ली विश्वविद्यालय का 1717.45 करोड़ का बजट पारित
नई दिल्ली, 08 मार्च। दिल्ली विश्वविद्यालय कार्यकारी परिषद (ईसी) की 1269 वीं बैठक का आयोजन शुक्रवार, 08 मार्च को विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह की अध्यक्षता में हुआ। विश्वविद्यालय के कान्वेंशन हाल में आयोजित इस बैठक के दौरान कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई और उन्हें पारित किया गया। बैठक में वित्तीय वर्ष 2024-2025 के लिये दिल्ली विश्वविद्यालय का 1717.45 करोड़ रुपए का बजट भी पारित किया गया। पीएचडी में प्रवेश के लिए दिव्यांग (PwBD) अभ्यर्थियों को कुल शुल्क में 75% की छूट को भी मंजूरी प्रदान की गई। बैठक के आरंभ में कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने विश्वविद्यालय का लेखा-जोखा प्रस्तुत किया और रजिस्ट्रार डॉ. विकास गुप्ता ने पिछली बैठक के मिनट्स और एक्शन टेकन रिपोर्ट प्रस्तुत की। ज़ीरो आवर के दौरान ईसी सदस्यों द्वारा विभिन्न मुद्दों पर भी चर्चा की गई।
दिव्यांग (PwBD) अभ्यर्थियों को पीएचडी में प्रवेश के लिए कुल शुल्क में मिलेगी 75% की छूट
वित्तीय वर्ष 2024-2025 के लिये पारित बजट अनुमान के अनुसार सैलरी हैड में कुल 553.95 करोड़ रुपए का बजट रखा गया है। इसके अनुसार रेगुलर फ़ैकल्टि सैलरी के तहत 307.32 करोड़ और रेगुलर नॉन फ़ैकल्टि सैलरी के लिये 123.68 करोड़ रुपए तथा अन्य विषयों जैसे कि लीव एनकैशमेंट, एलटीसी, चिलड्रन एजुकेशन एलाउंस, मेडिकल रिइमबर्समेंट और अन्य सेवानिवृति लाभ आदि के लिये 122.95 करोड़ रुपए का प्रावधान रखा गया है। इसके अतिरिक्त शैक्षणिक और गैर शैक्षणिक रिक्त पदों के खर्च को भी बजट में शामिल किया गया है जिसके तहत 935.26 करोड़ रुपए का अनुमान पेश किया गया है। आवर्ती खर्चों के तहत पेंशन एवं पेंशन संबंधी लाभ, नॉन सैलरी आइटम्स, नॉन-नेट फैलोशिप और हायर एजुकेशनल फाइनांसिंग एजेंसी हेतु कुल 627.31 करोड़ रुपए का अनुमान पेश किया गया है। इसके साथ ही बिल्डिंग, पुस्तकें और जर्नल्स, प्रयोगशाला उपकरण, क्लास रूम उपकरण एवं फर्नीचर, कम्प्युटर, परिसर विकास और सीसीटीवी सर्विलांस एवं अन्य पूंजीगत आस्तियों के लिये 154.88 करोड़ रुपए का बजट अनुमान पेश किया गया है।
बैठक के दौरान मुख्य श्रम आयुक्त, श्रम और रोजगार मंत्रालय, सरकार द्वारा अधिसूचित दरों पर मजदूरी के भुगतान के मामले पर भी विचार किया। आउटसोर्सिंग एजेंसियों के माध्यम से विश्वविद्यालय में कार्यरत सभी श्रेणी के कर्मचारियों को मुख्य श्रम आयुक्त, श्रम एवं रोजगार मंत्रालय, सरकार द्वारा समय-समय पर अधिसूचित दरों के अनुसार वेतन का भुगतान किया जाएगा। भारत सरकार या राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली द्वारा समय-समय पर अनुमोदित वेतन दरों में जो भी अधिक हो, आउटसोर्सिंग एजेंसियों के माध्यम से विश्वविद्यालय में लगे कर्मचारियों को उसी अनुरूप वेतन का भुगतान किया जाएगा।
कोर्स पूर्ण करने के लिए एक विषय में 10 अंकों के विशेष मॉडरेशन का प्रावधान
जिन विद्यार्थियों का कोर्स पूरा करने के लिए एक पेपर शेष रहता है, उन्हें 10 अंकों का विशेष मॉडरेशन दिया जाएगा। ईसी द्वारा यह निर्णय 30 नवम्बर, 2023 को आयोजित हुई विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद (एसी) की बैठक में की गई सिफारिशों पर विचार के उपरांत लिया गया। कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने बताया कि विश्वविद्यालय में डिग्री कार्यक्रमों को पूरा करने के लिए एक निर्दिष्ट अवधि का प्रावधान है जिसके भीतर विद्यार्थियों को अपना डिग्री कार्यक्रम पूरा करना होता है। जो विद्यार्थी निर्दिष्ट अवधि में अपना डिग्री पाठ्यक्रम पूरा करने में असमर्थ रहते हैं, एनईपी यूजीसीएफ-2022 के कार्यान्वयन के साथ, अब उन विद्यार्थियों के लिए कुछ राहत के प्रावधान उपलब्ध हैं। ऐसे मामलों में, वे नियमानुसार प्रमाणपत्र या डिप्लोमा प्राप्त करने के पात्र हैं, भले ही वे पूर्ण डिग्री कार्यक्रम पूरा करने में असफल रहते हों। इसके अलावा डिग्री पूरी करने के लिए 7 साल की अवधि प्रदान की जाती है।
कुलपति ने कहा कि ऐसी स्थिति उन विद्यार्थियों के लिए विशेष रूप से चुनौतीपूर्ण हो जाती है, जो एक पेपर को छोड़कर कोर्स की सभी आवश्यकताओं को पूरा करते हों। कई बार विद्यार्थी प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण अपनी डिग्री पूरी करने में असमर्थ होते हैं। ऐसे मामलों में, विश्वविद्यालय एक बचे हुए पेपर के लिए विशेष मॉडरेशन दे कर उनके समय को और की गई मेहनत को बर्बाद होने से रोक सकता है। कुलपति ने बताया कि यह प्रावधान विशेष रूप से उन विद्यार्थियों के लिए विशेष मॉडरेशन प्रदान कर सकता है जिनके पास अधिकतम 10 अंकों की सीमा तक एक पेपर शेष है। यह विशेष मॉडरेशन उस पेपर पर पहले से लागू किसी भी मॉडरेशन के अतिरिक्त हो सकता है। उन्होंने बताया कि यह प्रावधान विद्यार्थी द्वारा प्रस्तुत किए गए कारणों पर सावधानीपूर्वक विचार करने के उपरांत विश्वविद्यालय की संतुष्टि के अधीन लागू होगा।
कोविड पीड़ितों को डिग्री पूरी करने के लिए मिलेगा विशेष अवसर
कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि कोविड-19 महामारी ने लोगों के सामने अप्रत्याशित चुनौतियां पैदा की। इनके कारण कई विद्यार्थियों की शैक्षणिक प्रगति पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। ऐसे में उनके नियंत्रण से परे के कारकों के लिए उन्हें दंडित करना अन्यायपूर्ण है। इसलिए 2021-22 और 2022-23 में अपनी शैक्षणिक अवधि पार कर चुके विद्यार्थियों को उनकी डिग्री पूरी करने के लिए आवश्यक शेष पेपरों में उपस्थित होने हेतु एक विशेष मौका देने का निर्णय लिया गया है। कुलपति ने कहा कि कई विद्यार्थी जो अपनी अवधि पार कर चुके हैं, वह अपनी शैक्षणिक स्थिति के कारण काफी तनाव और चिंता में हैं। उन्हें यह अवसर प्रदान करने से उनके मानसिक कल्याण में योगदान मिलेगा और उनके शैक्षणिक बोझ से राहत मिलेगी। उन्होंने बताया कि इस योजना को लागू करने के लिए विशेष नियम रखे जाएंगे। अपनी अवधि पार कर चुके विद्यार्थियों के अनुरोधों का मूल्यांकन करने के लिए अकादमिक सलाहकारों, संकाय सदस्यों और प्रशासकों की एक समिति का गठन किया जाएगा। महामारी के प्रभाव पर ध्यान केंद्रित करते हुए और उनकी अवधि विस्तार के कारणों को समझाते हुए पात्र विद्यार्थियों को आवेदन जमा करने की अनुमति दी जाएगी। विकट परिस्थितियों और विशेष अवसर देने की व्यवहार्यता पर विचार करते हुए, प्रत्येक आवेदन का अलग-अलग मूल्यांकन किया जाएगा। इन विद्यार्थियों को उनकी डिग्री पूरी करने के लिए अवसर देने हेतु विशेष परीक्षा आयोजित करने का प्रावधान किया जाएगा। उपरोक्त प्रावधानों को एमफिल विद्यार्थियों और चार पेपरों की सीमा के साथ सेंटेनरी चांस में उपस्थित होने वाले विद्यार्थियों के लिए भी लागू किया जा सकता है।
विदेशी विश्वविद्यालयों से पीएचडी करने के लिए नियम निर्धारित
विदेशी विश्वविद्यालयों से पीएचडी करने के इच्छुक दिल्ली विश्वविद्यालय के संकाय सदस्यों को अध्ययन अवकाश देने हेतु दिशानिर्देशों को भी डीयू ईसी की बैठक के दौरान मंजूरी प्रदान की गई। दिशा निर्देश बनाने के लिए गठित कमेटी की अनुशंसा के अनुसार गैर-पीएचडी वाले संकाय सदस्य जिस विदेशी विश्वविद्यालय से पीएचडी करना चाहते हैं उस विश्वविद्यालय की क्यूएस वर्ल्ड रैंकिंग दिल्ली विश्वविद्यालय से कम नहीं होनी चाहिए। संकाय सदस्य को अपने आवेदन में वजीफा/फैलोशिप के प्रकार और उसकी राशि का भी उल्लेख करना होगा। यदि संकाय सदस्य को कोई फेलोशिप मिल रही है, तो अध्ययन अवकाश के लिए आवेदन करते समय इसकी घोषणा भी करनी होगी। संकाय सदस्य का वेतन दिल्ली विश्वविद्यालय के मौजूदा नियमों और विनियमों के अनुसार तय किया जाएगा।
फ़ैकल्टी ऑफ टेक्नालजी के लिए पदों को मिली स्वीकृति
दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रौद्योगिकी संकाय के लिए शिक्षण एवं गैर-शैक्षणिक पदों के सृजन को लेकर शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार से मिली स्वीकृति पर भी ईसी की बैठक में चर्चा की गई। गौरतलब है कि विश्वविद्यालय की वित्त समिति ने 16 फरवरी, 2024 को आयोजित अपनी बैठक में इन पदों के सृजन संबंधी पत्र को स्वीकार किया था। इसके तहत प्रौद्योगिकी संकाय के लिए 8 प्रोफेसर, 16 एसोसिएट प्रोफेसर और 48 असिस्टेंट प्रोफेसर पदों पर नियुक्तियों का रास्ता साफ होगा है। इसके साथ ही गैर-शैक्षणिक पदों के लिए भी अलग-अलग पदानुसार 48 पदों को स्वीकृति प्रदान की गई है।
आईएचबीएएस में 2025-26 तक हो सकेगी एम.फिल.
चिकित्सा में एम.फिल. की वैधता बढ़ाते हुए क्लिनिकल साइकोलॉजी और मनोरोग सामाजिक कार्य में शैक्षणिक सत्र 2025-26 तक एम.फिल. जारी रखने को भी ईसी द्वारा मंजूरी दी गई है। कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने में नैदानिक मनोवैज्ञानिकों और मनोरोग सामाजिक कार्यकर्ताओं द्वारा निभाई गई महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए यह आंशिक छूट दी गई है। हालांकि राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 की अनुशंसा के अनुरूप अन्य विषयों में दिल्ली विश्वविद्यालय में एम.फिल को बंद किया जा चुका है। कुलपति ने कहा कि एक अंतरिम व्यवस्था के रूप में आईएचबीएएस में एम.फिल. (क्लिनिकल साइकोलॉजी) पाठ्यक्रम को फिर से शुरू करने के लिए यूजीसी के निर्देश पर यह निर्णय लिया गया है।