गाडू घड़ा तेल कलश टिहरी राज दरबार पहुंचने की है अनूठी परंपरा
जोशीमठ / देहरादून। हिमालय में स्थित भारत के चार धामों में सर्वश्रेष्ठ धाम के रूप में प्रख्यात श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की प्रक्रिया का सिलसिला बसंतोत्सव के साथ शुरू हो जाएगा। बसंत पंचमी के धार्मिक पर्व पर टेहरी रियासत के राजदरबार नरेंद्रनगर स्थित टिहरी राजमहल में श्री बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि व मुहूर्त विधिवत तौर पर वेद मंत्रोच्चार व पूजा अर्चना के साथ घोषित की जाएगी। कपाट खोलने की तिथि घोषित होने के साथ ही भगवान श्री बदरी विशाल के तिलों के तेल को पिरोने की भी तिथि निश्चित की जाएगी। इस प्रकार पौराणिक मान्यताओं व परंपराओं से परिपूर्ण है भगवान श्री बदरी विशाल के कपाट खुलने की प्रक्रिया। कपाट खुलने की तिथि घोषित होने की प्रक्रिया कल (आज) एक विशिष्ट परंपरा व मान्यता के साथ शुरू हो जाएगी ।
श्री बद्रीनाथ धाम के पुजारी समुदाय डिमरियों की धार्मिक पंचायत श्री बद्रीनाथ डिमरी धार्मिक केंद्रीय पंचायत के अध्यक्ष आशुतोष डिमरी ने बताया कि पंचायत के प्रतिनिधियों द्वारा जोशीमठ स्थित नृसिंह मंदिर से भगवान बदरी विशाल का तेल कलश(गाडू घड़ा) पूजा अर्चना के साथ प्रस्थान कर पांडुकेश्वर स्थित योग ध्यान बदरी मंदिर में पूजा अर्चना भोग लगने के बाद अगले दिन डिमरी पुजारी के मूल ग्राम डिम्मर लाया जाएगा । डिम्मर स्थित श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में कलश का विशिष्ट पूजन अर्चन व भगवान का भोग लगने के बाद कलश नरेंद्रनगर के लिए प्रस्थान करेगा। पंचायत अध्यक्ष आशुतोष डिमरी ने बताया की तेल कलश जोशीमठ से चरणबद्ध तरीके से नरेंद्र नगर पहुंचाने के लिए पंचायत की ओर से ज्योतिष डिमरी व संजय डिमरी को नियुक्त किया गया है। पंचायत के अन्य पुजारीगण व बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति की पदाधिकारी व अधिकारीगण भी इस अवसर पर नरेंद्रनगर पहुंचेंगे।
इस प्रक्रिया के तहत 13 फरवरी को तेल कलश ऋषिकेश पहुंच जाएगा और 14 फरवरी को डिमरी पुजारियों द्वारा तेल कलश गाडू घड़ा बसंत पंचमी के धार्मिक पर्व पर नरेंद्र नगर टिहरी राजमहल पहुंचाया जाएगा । तेल कलश पहुंचने के साथ ही नरेंद्रनगर राज दरबार में कपाट खुलने की तिथि व तेल कलश में भरे जाने वाले तिलों के तेल को पिरोने की तिथि निश्चित की जाएगी। यहां इस बात का उल्लेख करना जरूरी होगा कि टिहरी राजमहल में महारानी व अन्य सुहागिन महिलाओं द्वारा पिरोया गया तिलों का तेल ही कपाट खुलने पर बदरीनाथ धाम पहुंचता है और यही तेल 6 माह यात्रा काल के दौरान भगवान की नित्य प्रति प्रातः कालीन महाअभिषेक पूजा में प्रयुक्त होता है।
दूसरी ओर बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की प्रक्रिया को लेकर पौराणिक मान्यता व पारंपरिक रीति रिवाज के तहत बद्रीनाथ के पुजारी समुदाय डिमरियों के मूल ग्राम डिम्मर में बसंत पंचमी पर कपाट खुलने से पूर्व रामलीला का आयोजन ईस्ट पूजन के रूप में आगामी यात्रा काल निर्विघ्न व सफल संचालन और जगत कल्याण के लिए आयोजित करने की प्राचीन परंपरा है। श्री रामलीला मंडली डिम्मर के अध्यक्ष एडवोकेट अशोक डिमरी ने बताया कि टेहरी राजमहल नरेंद्रनगर की ही तर्ज पर प्राचीन परंपरा के अनुसार डिम्मर में श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में विशिष्ट पूजन अर्चन के बाद श्रीराम दरबार चौंरी चौक में पंचांग पूजा के बाद कपाट खुलने से पूर्व भगवान श्री राम की लीला ईष्ट पूजन के रूप में आहुत करने की तिथि निश्चित की जाएगी। उधर कपाट खोलने की प्रक्रिया के साथ ही श्री बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति द्वारा भी विभिन्न तैयारियों को यात्रा काल के लिए अंजाम दिया जाना शुरू कर दिया गया है। मंदिर समिति के मुख्य कार्याधिकारी योगेंद्र सिंह ने बताया की कपाट खुलने की तिथि घोषित होने के साथ ही ऋषिकेश से बदरी केदार यात्रा मार्ग पर समिति के सभी विश्राम गृहों को बदरी केदार आने वाले तीर्थ यात्रियों की आवासीय व्यवस्था हेतु सुसज्जित किया जाएगा।