देहरादून 6 फरवरी। भाजपा ने कॉमन सिविल कोड बिल सदन से पारित होने पर सवा करोड़ देव भूमिवासियो को हार्दिक बधाई दी है। साथ ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एवं सभी विधायकों का आभार व्यक्त करते हुए, देवभूमि से एक राष्ट्र एक कानून के शुभारंभ को मातृशक्ति के सशक्तिकरण को अधिक प्रभावी करने वाला कदम और देव भूमि से देश के लिए सुखद संदेश बताया।
प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने यूसीसी को लेकर जन जन की भावनाओं को कॉमन सिविल कोड के निर्णायक स्वरूप में सामने आने का स्वागत करते हुए कहा कि कानूनी समानता के अधिकार जैसे अच्छे काम की शुरुआत के लिए देवभूमि से बेहतर स्थान कोई नही हो सकता था। उन्होंने प्रदेश के समस्त कार्यकर्ताओं और जनता की तरफ से इस ऐतिहासिक निर्णय पर सभी विधायकों का आभार जताया। उन्होंने कहा कि इस कानून को 22 महीनों में 2.33 लाख सुझाव, 43 जन संवाद के सार्वजनिक कार्यक्रम और लगभग 6 दर्जन से अधिक मैराथन बैठक के बाद तैयार किया गया है। जिस पर विधानसभा की संवैधानिक मुहर लगने के बाद अब राज्यपाल की संस्तुति के बाद इस विधेयक का कानूनी शक्ल लेना तय है।
श्री भट्ट ने कहा कि इस विधेयक के पास होने के साथ एक बात तो पूरी तरह स्पष्ट हो गया है कि यह कानून मातृ शक्ति के सशक्तिकरण और एक समान कानूनी अधिकार देने की संविधान निर्माताओं के सपनों को पूरा करने वाला है। जो लोग गलतफहमी पैदा करने और भ्रम फैलाने का काम कर रहे थे उन्हें भी अहसास हो गया होगा कि यह कानून हिन्दू-मुस्लिम के वाद-विवाद और बहुसंख्यक अल्पसंख्यक जैसे शब्दों से परे है। इस प्रगतिशील कानून से राज्य के अंदर महिलाओं और बच्चों को वे सभी अधिकार मिल जाएंगे जिनसे उन्हें विगत 75 वर्षों से वंचित रखा गया है। इसका सबसे बड़ा उद्देश्य है महिलाओं और बाल अधिकारों को सुनिश्चित करना है। यह कानून लोगों के अधिकार छीनने का नहीं बल्कि लोगों को अधिकार देने से सम्बंधित है, लिहाजा इससे किसी के धार्मिक रीति रिवाज और वैवाहिक परंपराओं में कोई बदलाव नहीं होगा। सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होने वाला यह कानून संविधान के भाग-4 के अनुच्छेद 37 और अनुच्छेद 44 के प्रावधानों के अनुशार है।
उन्होंने कहा कि इस कानून से दिक्कत उन्हे होने वाली है जो बहु विवाह के द्वारा महिलाओं के अन्याय करने की मंशा रखते हैं या उनको उनके संपत्ति, मुआवजा आदि के जैविक अधिकार से वंचित रखना चाहते हैं। वहीं तलाक के गैर बराबरी के नियमों का लाभ लेते हुए मातृ शक्ति को तलाक का खामियाजा देना, अवैध विवाह, लिव इन रिलेशनशिप आदि के माध्यमों से धोखा देने की प्रवृत्ति, धार्मिक अधिकारों की आड़ में बालिकाओं के बाल विवाह के कृत्यों में संलिप्त रहने वालों के सामने समस्या उत्पन्न होगी। इन सबके अतिरिक्त राजनेताओं का एक बड़ा तबका भी इस कानून से दुखी होगा जो तुष्टिकरण की नीति से वोट बैंक बनाए रखने की साजिश रचता रहता है।
देवभूमि को गौरव दिलाने वाले इस कदम को लेकर विपक्ष के रुख को श्री भट्ट ने बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने अफसोस जताते हुए कहा, दिल्ली में बैठे कांग्रेसियों का विरोध तो समझा जा सकता था, लेकिन देवभूमि के मान सम्मान बढ़ाने वाली इस कोशिश का उनके प्रदेश नेताओं द्वारा विरोध पीड़ादायक है। उन्होंने कांग्रेस के विरोध पर निशाना साधते हुए कहा कि जिस पार्टी की सरकार पार्टी एक गरीब, मजलूम तीन तलाक से प्रताड़ित महिला को न्यायालय से मिले 179.25 रुपए गुजारा भत्ता को हड़पने के लिए कानून बना सकती हो और जो न्यायालयो की समान नागरिक संहिता के पक्ष में कही बातों को नजरंदाज करते रहे उनसे न्याय की उम्मीद नही की जा सकती। उन्होंने एक तबके के तुष्टिकरण किए देश के सामान्य नागरिकों के साथ कानूनी भेदभाव को जारी रखा और इस कानून के अभाव में तलाक और अधिकारों के नाम पर महिलाओं और बच्चों के शोषण को मौन स्वीकृति देते रहे। उन्होंने कहा, इस कानून के सदन में चर्चा के दौरान, जनता ने स्पष्ट देख लिया है कि कौन उनकी भावनाओं के साथ था और कौन नही? लिहाजा इस कानून को लेकर सदन की राय जनता में देख रही है और आने वाले लोकसभा चुनाव में जनता अपनी राय इस मुद्दे पर जवाब देगी।