नई दिल्ली, 19 जनवरी । दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि आधुनिक भारत के अंदर दस्तावेज़ीकरण की परंपरा बहुत ज्यादा स्थापित नहीं है और हम चीजों के दस्तावेजीकरण में चूक जाते हैं। उन्होंने कहा कि हो सकता है पहले यह परंपरा भारत में सुव्यवस्थित रही हो, लेकिन अब इसे सुव्यवस्थित तरीके से स्थापित करने की जरूरत है। कुलपति दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. के.पी. सिंह द्वारा लिखित पुस्तक “मोदी@डीयू” के विमोचन कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर कुलपति ने कहा कि यह पुस्तक दिल्ली विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष समारोह का दस्तावेजीकरण है।
दस्तावेज़ीकरण की सुव्यवस्थित परंपरा स्थापित होना जरूरी: प्रो. योगेश सिंह
कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने बताया कि जब दिल्ली विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष समारोह के आयोजन पर चर्चा हुई तो हमने कोशिश की कि विश्वविद्यालय के 25 वर्ष, 50 वर्ष और 75 वर्ष पूरे होने पर जो कार्यक्रम हुए होंगे, उनसे संबंधित दस्तावेजों को देखा जाए ताकि कार्यक्रम के आयोजन में सहायता मिल सके; लेकिन उन कार्यक्रमों को लेकर कोई अधिक जानकारी विश्वविद्यालय में उपलब्ध नहीं हुई। इसलिए निर्णय लिया गया कि शताब्दी वर्ष के आयोजन को लेकर इससे संबंधित सभी कार्यक्रमों और चीजों का दस्तावेजीकरण किया जाना चाहिए। उक्त पुस्तक उसी कड़ी में एक अच्छा दस्तावेज़ है जो आगामी वर्षों में बहुत लाभकारी सिद्ध होगी। उन्होंने पुस्तक की सामग्री की चर्चा करते हुए कहा कि इसके अंदर चित्रों से लेकर लिखित रूप में भी काफी रोचक सामग्री संग्रहीत की गई है।
कुलपति ने कहा कि इस पुस्तक में दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन और 100 वर्षों के इतिहास की कहानी है। इसके माध्यम से विश्वविद्यालय की विकास यात्रा के साथ दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आने पर यहां के शिक्षकों की प्रतिक्रियाओं को रोचक तरीके से सहेजा गया है। मोदी के आगमन के बाद दिल्ली विश्वविद्यालय के शिक्षकों ने सोशल मीडिया के माध्यम से प्रधानमंत्री मोदी के लिए जिन भावनाओं को व्यक्त किया था, उन्हें भी पुस्तक में उसी तरीके से सहेजा गया है। कुलपति ने पुस्तक लेखन के लिए प्रो. के.पी. सिंह को बधाई देते हुए शताब्दी समारोह के सफल आयोजन और संचालन हेतु डीयू की पूरी टीम को भी बधाई दी। इसके साथ ही उन्होंने आह्वान किया कि शताब्दी वर्ष के एक साल से जुड़ी बहुत सी यादें सभी के पास हो सकती हैं, उन्हें लिखना चाहिए। कार्यक्रम के दौरान विशिष्ट अतिथि के तौर पर भारत विकास परिषद के राष्ट्रीय संगठन मंत्री सुरेश जैन और राष्ट्रीय कवि संगम के अध्यक्ष जगदीश मित्तल ने भी संबोधित किया।
कार्यक्रम के समापन अवसर पर कुलसचिव डॉ. विकास गुप्ता ने धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया। इस दौरान उन्होंने शताब्दी वर्ष समारोह से जुड़ी गतिविधियों और तैयारियों के बारे में भी विस्तार से जानकारी दी। कार्यक्रम के आरंभ में पुस्तक के लेखक प्रो. के.पी. सिंह ने अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर दिल्ली विश्वविद्यालय के दक्षिणी परिसर के निदेशक प्रो. श्री प्रकाश सिंह और डीन ऑफ कॉलेजेज़ प्रो. बलराम पाणी सहित अनेकों गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।