अज्ञात वाहनों से हुये हादसों में जहां बड़ी संख्या में व्यक्ति गंभीर रूप से घायल व उनकी मृत्यु हो जाती है लेकिन घायलों को व मृत व्यक्तियों के आश्रितों को मुआवजे के प्राविधान होने पर भी मुआवजा नहीं मिल पाता है। इस मानवीय मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट की न्यायमुर्ति एस अभय ओका एवं न्यायमूर्ति पंकज मित्थल की बेंच ने ऐतिहासिक निर्णय लिया जो कि वरिष्ठ अधिवक्ता के0सी0 जैन द्वारा प्रस्तुत आई0ए0 सं0 71387 वर्ष 2023 पर था।
नाम मात्र के लोगों ने लिया योजना का लाभ
सुप्रीम कोर्ट ने अपने निर्णय में मोटर व्हीकल एक्ट की धारा-161 का सन्दर्भ देते हुए कहा कि अज्ञात वाहन से हुये हादसों में मृत्यु होने पर रू0 दो लाख और गंभीर रूप से घायल होने पर रू0 पचास हजार के भुगतान का प्राविधान है लेकिन बहुत कम लोगों को भुगतान किया जाता है। रोड परिवहन व राजमार्ग मंत्रालय की रिपोर्ट रोड एक्सीडेन्ट इन इण्डिया का सन्दर्भ देते हुए न्यायालय ने उल्लेख किया कि वर्ष 2016 में 55942, वर्ष 2017 में 65186, वर्ष 2018 में 69822, वर्ष 2019 में 69621 हिट एण्ड रन के हादसे थे। कोरोना अवधि 2020 व 2021 में क्रमशः 52448 व 57415 थे जो बढ़कर 2022 में 67387 हो गये लेकिन जनरल इन्श्योरेन्स काउंसिल की वित्तीय वर्ष 2022-23 की वार्षिक रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि योजना के अन्तर्गत कुल 205 क्लेम प्राप्त हुए और जिनमें से मात्र 95 लोगों का भुगतान किया गया। न्यायालय ने कहा कि यदि हम हिट एण्ड रन सड़क हादसों की संख्या की तुलना मुआवजा प्राप्त करने के लिए रजिस्टर्ड केसों की संख्या से देखें तो नाम मात्र के लोग योजना का लाभ ले सके। जिसका कारण योजना की जानकारी का अभाव हो सकता है।
पुलिस को करने चाहिए प्रयास
सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस की भूमिका के सम्बन्ध में कहा कि जब पुलिस इस निष्कर्ष पर पहुंच जाती है कि हादसा हिट एण्ड रन का है तो पुलिस को पीड़ित व्यक्तिया मृतक के उत्तराधिकारियों को मुआवजे की योजना के सम्बन्ध में बताना चाहिए। ऐसे प्रकरण हैं जहां पुलिस व योजना के क्लेम इन्क्वारी ऑफिसर हिट एण्ड रन हादसे को जानता है लेकिन उनके द्वारा कोई कोशिश नहीं की जाती है कि मुआवजा प्राप्त करने के लिए पीड़ित अपना क्लेम दाखिल करे। इसको देखते हुए उचित निर्देश जारी करने की जरूरत है।
पुलिस को किये निर्देश जारी
जब क्षेत्रीय पुलिस स्टेशन के पास हादसा करने वाले वाहन का विवरण नहीं है और हादसे की घटना के एक माह के अन्दर भी वे वाहन को मालूम नहीं कर पाते हैं तो पुलिस थानाध्यक्ष लिखित रूप से घायल व्यक्ति को अथवा मृतक व्यक्ति के प्रतिनिधियों को जैसा भी मामला हो लिखित रूप से यह सूचित करेगा कि वे योजना के अन्तर्गत मुआवजा प्राप्त कर सकते हैं। इसके साथ-साथ सम्बन्धित क्लेम इन्क्वारी ऑफिसर के ईमेल पते आदि का विवरण भी घायल व्यक्ति को अथवा मृतक के कानूनी उत्तराधिकारियों को उपलब्ध कराया जायेगा।
थानाध्यक्ष द्वारा हादसे की दिनांक के एक माह के अन्दर क्लेम इन्क्वारी ऑफिसर को हादसे की सूचना भेजी जायेगी जिसमें पीड़ित व्यक्ति तथा मृतक व्यक्ति के विधिक उत्तराधिकारियों का नाम भी क्लेम इन्क्वारी ऑफिसर को भेजा जायेगा। क्लेम इन्क्वारी ऑफिसर द्वारा सूचनाऐं प्राप्त होने के बाद भी यदि कोई क्लेम के लिए प्रार्थना पत्र एक माह के अन्दर प्राप्त नहीं होता है तो क्लेम इन्क्वारी ऑफिसर द्वारा जनपद विधिक सेवा प्राधिकरण को सूचना भेजी जायेगी कि वह क्लेमेन्ट से सम्पर्क करे और उन्हें क्लेम आवेदन पत्र दाखिल करने में सहायता करे।
जनपद स्तर पर मॉनिटरिंग कमेटी का किया गठन
सुप्रीम कोर्ट ने प्रत्येक जनपद स्तर पर मॉनिटरिंग कमेटी के गठन के आदेश भी किये और इस कमेटी के सदस्य होंगे – जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव, जिले का क्लेम इन्क्वारी ऑफिसर व एक पुलिस अधिकारी जो कि उप पुलिस अधीक्षक से कम का नहीं होगा। जनपद विधिक सेवा प्राधिकरण का सचिव इस कमेटी का कनविनयर होगा और यह कमेटी प्रत्येक 2 माह में एक बार मुआवजा के भुगतान की योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए बैठक करेगी। क्लेम इन्क्वारी ऑफिसर अपनी रिपोर्ट क्लेम सेटलमेन्ट कमिश्नर को एक माह के अन्दर भेज देगा।
जनपद विधिक सेवा प्राधिकरण को भी दिये निर्देश
जनपद विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव मॉनिटरिंग कमेटी की कार्यविधियों पर प्रत्येक तीन माह में रिपोर्ट राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण के पास भेजेंगे जो कि सभी जिलों की सूचनाऐं एकत्र करके एक समग्र रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट की रजिस्ट्री को प्रेषित करेंगे।
केन्द्र सरकार मुआवजे की राशि को बढ़ाये इस पर विचार करने को दिये निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने अपने इस महत्वपूर्ण निर्णय में यह भी उल्लेख किया कि मोटर व्हीकल एक्ट की धारा 161(2) में हिट एण्ड रन हादसे में मृत्यु की दशा में दो लाख रूपये या केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित अधिक राशि का भुगतान किया जायेगा। इसी प्रकार गंभीर रूप से घायल होने की स्थिति में पचास हजार रूपये का भुगतान किया जायेगा। रूपये की कीमत समय के साथ घट जाती है इसको देखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र सरकार को निर्देशित किया कि क्या मुआवजा प्रति वर्ष बढ़ सकता है इस पर केन्द्र सरकार को 8 सप्ताह की अवधि में निर्णय लेना है।
केन्द्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देशित किया कि पुरानी योजना के अन्तर्गत समय सीमा थी क्या उस समय सीमा को बढ़ाया जा सकता है और पात्र क्लेमेन्ट को बढ़े हुए समय में मुआवजा प्राप्त करने के लिए अपना आवेदन पत्र प्रस्तुत करने के लिए आज्ञा प्रदान की जा सकती है इस विषय पर भी केन्द्र सरकार को 8 सप्ताह के अन्दर निर्णय लेना है।
विभिन्न अधिकारियों को सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये अनुपालना को पक्षकारों को और न्यायमित्रों को उपलब्ध करानी होगी और अब इस मामले में अनुपालन पर विचार करने के लिए 22 अप्रैल 2024 नियत कर दी है।
याचिकाकर्ता अधिवक्ता जैन ने कहा कि हिट एण्ड रन हादसे में किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाना या गंभीर रूप से घायल हो जाना अत्यन्त दुर्भाग्यपूर्ण है और जिस प्रकार से सुप्रीम कोर्ट ने इस विषय को लिया, वह सुप्रीम कोर्ट की संवेदनशीलता को दिखाता है। इस निर्णय से लाखों व्यक्ति लाभान्वित होंगे लेकिन इस मानवीय समस्या के प्रति पुलिस प्रशासन, जिला प्रशासन एवं जनपद विधिक सेवा प्राधिकरण को भी आगे बढ़कर हादसों के पीड़ितों को मुआवजे दिलाने में सक्रियता दिखानी होगी। केन्द्र सरकार को भी मुआवजे की राशि को बढ़ाना होगा और यह राशि केन्द्र सरकार या राज्य सरकार अपने कोष से नहीं देती है अपितु वाहन स्वामियों से जो बीमा राशि ली जाती है उसका एक भाग इन्श्योरेन्स कम्पनी द्वारा फण्ड में दे दिया जाता है। इस प्रकार यह फण्ड वाहन स्वामियों के बीमा राशि का ही है। क्लेम याचिका के लिए समय सीमा भी समाप्त होनी चाहिए। चुनाव वर्ष में ऐसे राहत भरे निर्णय निश्चित रूप से एक अच्छा संदेश होंगे।