08/05/2025
न्यूज़ सर्विस
देहरादून, 08 मई। वन पारिस्थितिकी और जलवायु परिवर्तन प्रभाग एफआरआई ने ‘उत्तराखंड वन विभाग के फ्रंट-लाइन कर्मचारियों के लिए मृदा परीक्षण-आधारित पोषक तत्व प्रबंधन प्रथाओं’ पर एक दिवसीय
क्षमता निर्माण कार्यशाला का आयोजन किया। इस कार्यशाला को प्रतिभागियों को मिट्टी के नमूने और पोषक तत्व प्रबंधन के लिए उजागर करने के लिए तैयार किया गया था। उपर्युक्त कार्यशाला
एआईसीआरपी-22 “भारत के सभी वन प्रभागों में विभिन्न वन वनस्पतियों के तहत वन मृदा स्वास्थ्य कार्ड तैयार करना” नामक परियोजना का एक उद्देश्य था, जिसे कैम्पा , भारत सरकार द्वारा वित्त पोषित किया गया था। कार्यशाला के मुख्य अतिथि डॉ. विवेक पांडेय, आईएफएस, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक, उत्तराखंड सरकार थे। डॉ. पांडेय ने उद्घाटन भाषण में मृदा पोषक तत्वों के महत्व और उनके प्रबंधन पर जोर दिया। प्रतिभागियों को उक्त परियोजना के तहत किए गए विभिन्न मृदा नमूना उपकरणों और अन्य अनुसंधान गतिविधियों से परिचित कराया गया। परियोजना के एनपीसी एवं वैज्ञानिक-एफ डॉ. विजेंद्र पंवार ने कहा कि इस परियोजना का प्राथमिक उद्देश्य उत्तराखंड के सभी वन मंडलों में विभिन्न प्रकार की वन वनस्पतियों के तहत वन मृदा स्वास्थ्य का आकलन करना और प्रत्येक मंडल के लिए व्यापक मृदा स्वास्थ्य कार्ड विकसित करना है। ये कार्ड मूल रूप से 12 मिट्टी मापदंडों पर तैयार किए जाते हैं जिनका प्रयोगशाला में मूल्यांकन किया जाता है। वन मृदा स्वास्थ्य कार्ड (एफएसएचसी) का उद्देश्य वन प्रबंधकों के लिए मूल्यवान उपकरण के रूप में सेवा करना है, जो उन्हें वन संरक्षण, बहाली और टिकाऊ प्रबंधन के बारे में सूचित निर्णय लेने के लिए आवश्यक डेटा प्रदान
करता है। उन्होंने यह भी कहा कि वन मृदा स्वास्थ्य कार्ड के संबंध में एक वेबसाइट पर काम चल रहा है। डॉ. पारुल भट्ट कोटियाल, वैज्ञानिक-एफ और प्रमुख, एफईसीसी डिवीजन, एफआरआई ने बताया कि वन पारिस्थितिकी प्रणालियों की उत्पादकता और स्थिरता का निर्धारण करने में मृदा स्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण कारक है। वन प्रबंधन के संदर्भ में, मृदा स्वास्थ्य को समझना और भी महत्वपूर्ण हो जाता है क्योंकि यह सीधे वन पुनर्जनन, कार्बन अनुक्रम और पारिस्थितिकी तंत्र के समग्र लचीलेपन को प्रभावित करता है। भारत सरकार का दीर्घकालिक लक्ष्य एक नियोजित वनीकरण अभियान के माध्यम से अपने वन आवरण को बढ़ाना है, जिसमें हरित भारत मिशन, हरित राजमार्ग नीति और प्रतिपूरक वनीकरण निधि प्रबंधन और योजना प्राधिकरण (कैम्पा) जैसे कई कार्यक्रम और पहल शामिल हैं। इस कार्यशाला में वन विभाग, उत्तराखंड वन विभाग के 45 से अधिक फ्रंटलाइन कर्मियों, एफआरआई के वैज्ञानिकों,
अधिकारियों और तकनीकी कर्मचारियों ने भाग लिया।