नई दिल्ली, दुनिया में वर्ल्ड आईवीएफ डे मनाया जा रहा है और दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में इनफर्टिलिटी के 50% मामले पुरुषों में पाये जा रहे हैं। यह चौंकाने वाली बात है और एक लगातार बढ़ती चिंता पर रोशनी डालती है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में इनफर्टिलिटी यानी बांझपन के 50% मामले पुरुषों से जुड़े पाये गये।
एजूस्पर्मिया, ऑलिगोस्पर्मिया/एस्थेनो/टेराटोजूस्पर्मिया, इरेक्टाइल डिस्फंक्शन और प्रीमैच्योर इजैक्युलेशन पुरुषों में बांझपन की प्रमुख स्थितियाँ हैं।
तनाव, बढ़ती उम्र और वैरिकोसेल पुरुषों के बांझपन में प्रमुख योगदान दे रहे हैं।
ज्यादातर मामले 35 साल और इससे ज्यादा उम्र के पुरुषों में पाये गये।
नई दिल्ली के नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी सेंटर के हाल के डेटा के मुताबिक, क्षेत्र में पुरुषों की इनफर्टिलिटी के तीन प्रमुख कारण हैं एजूस्पर्मिया, ऑलिगोस्पर्मिया/एस्थेनो/टेराटोजूस्पर्मिया, इरेक्टाइल डिस्फंक्शन और प्रीमैच्योर इजैक्युलेशन। इन स्थितियों में एक कपल की गर्भधारण की क्षमता पर बड़ा असर पड़ता है और इन्हें तुरंत ठीक करना जरूरी है।
तनाव, बढ़ती उम्र और वैरिकोसेल दिल्ली एनसीआर क्षेत्र में पुरुषों के बांझपन के प्रमुख कारणों में शामिल हैं। हमारे डॉक्टरों ने 35 और इससे ज्यादा उम्र के पुरुषों में ऐसे कई मामले देखे हैं। ऐसे में सही समय पर इलाज करवाने का महत्व पता चलता है। नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी, वसंत विहार में फर्टिलिटी एक्सपर्ट डॉ. पारुल गुप्ता ने कहा, ‘‘आधुनिक जीवनशैली की बात करें तो लोगों में तनाव काफी ज्यादा है और वो सुस्त जीवन भी जीते हैं, जिसका पुरुषों के प्रजनन स्वास्थ्य पर बुरा असर हो रहा है। पुरुषों के बांझपन पर जागरूकता बढ़ाना और उन्हें बच्चे को जन्म देने में कठिनाई होने पर इलाज के लिये प्रोत्साहित करना महत्वपूर्ण है, खासकर 40 की उम्र तक पहुँचने पर।’’
दिल्ली में करीब 26 मिलियन लोग सबसे विविधतापूर्ण एवं महानगरीय संस्कृति में रहते हैं। और आश्चर्य की बात है कि उसे भारत में सबसे कम प्रजनन क्षमता वाला राज्य कहा जाता है। हाल में किये गये एनएफएचएस-5 सर्वे के अनुसार, दिल्ली का टीएफआर 1.5 है। यहां इनफर्टिलिटी लगातार बढ़ रही है और आज के समय में एक बड़ी समस्या है।
इस वर्ल्ड आईवीएफ डे पर, नोवा आईवीएफ फर्टिलिटी सेंटर ने कपल्स से आग्रह किया है कि वे अपने प्रजनन स्वास्थ्य पर ध्यान दें और गर्भधारण में परेशानी होने पर सही समय पर इलाज लें। पुरुषों के बांझपन पर चुप्पी को तोड़कर हम ऐसे लोगों के लिये ज्यादा सहयोगी एवं जानकारियों वाला माहौल बनाने के लिये मिलकर काम कर सकते हैं।
 
															 
             
                                 
                              
         
         
        