देहरादून। हिमालयन अस्पताल जौलीग्रांट में विशेषज्ञ चिकित्सकों ने शिशु मृत्यु दर को कम करने को मंथन किया। विशेषज्ञों ने गर्भवती महिलाओं की प्रसवपूर्व उचित देखभाल को जरूरी बताया। हिमालयन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एचआईएमएस) में प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग की ओर से “मृत बच्चे के जन्म की रोकथामः अजन्मे जीवन को बचाना” विषय पर सतत चिकित्सा शिक्षा (सीएमई) का आयोजन किया गया।
इसमें जन्म के समय शिशु मृत्यु दर को कम करने को लेकर उपायों पर चर्चा की गई।आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. राजेन्द्र डोभाल ने कहा कि मृत शिशु के जन्म को रोकने के लिए सभी गर्भवती महिलाओं की प्रसवपूर्व उचित देखभाल मिलनी चाहिए। उन्होंने रेनबो क्लीनिक की आवश्यकता पर भी जोर दिया जो मृत बच्चे के जन्म के बाद अगली गर्भावस्था में देखभाल के लिए समर्पित हैं। एचआईएमएस के प्रिंसिपल डॉ. अशोक देवराड़ी ने शिशु मृत्यु जन्म दर को कम करने के लिए गुणवत्तापूर्ण प्रसवकालीन देखभाल के बारे में जानकारी दी।
विशिष्ट अतिथि अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय की डॉ. तमकिन खान व स्टिलबर्थ सोसाइटी ऑफ इंडिया की सचिव ने बताया कि स्टिलबर्थ सोसाइटी ऑफ इंडिया एक गैर-लाभकारी संगठन है जो देश में शिशु मृत्यु जन्म दर को कम करने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप, भ्रूण के विकास में रुकावट, गर्भकालीन मधुमेह मेलिटस, गर्भावस्था के इंट्राहेपेटिक कोलेस्टेसिस जैसी सामान्य समस्याओं पर एक केस आधारित पैनल चर्चा हुई। संचालन विभागाध्यक्ष एवं आयोजन अध्यक्ष डॉ. रुचिरा नौटियाल ने किया। एमसीएच और एनएचएम की चिकित्सा अधिकारी डॉ. उमा रावत ने उत्तराखंड में शिशु मृत्यु जन्म दर के आंकड़े प्रस्तुत किेए। डॉ. स्मिता चंद्रा ने मृत प्रसव में प्लेसेंटा की हिस्टोपैथोलॉजिकल जांच की भूमिका पर प्रकाश डाला।
इस अवसर निदेशक (स्वास्थ्य सेवाएं) डॉ. हेम चंद्रा पांडे, डॉ. मुश्ताक अहमद, डॉ. एनास मुश्ताक, डॉ. चिन्मय चेतन, डॉ. अनिल रावत ने भी अपने विचार रखे। इस अवसर डॉ. पूर्णिमा उप्रेती की देखरेख में स्त्री रोग विशेषज्ञों के लिए एक ब्रेन स्टॉर्मिंग पीजी क्विज़ का आयोजन भी किया गया। सीएमई में एम्स ऋषिकेश, दून मेडिकल कॉलेज, एसएसजीआरआईएम और एचएस, जीएमसी हल्द्वानी के प्रसूति एवं स्त्री रोग विभाग के वरिष्ठ संकाय सदस्यों ने भाग लिया।