नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि भारत का रक्षा तंत्र आज पहले से कहीं अधिक सशक्त है क्योंकि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार इसे भारतीयता की भावना के साथ मजबूत करने पर ध्यान केंद्रित कर रही है। वे नई दिल्ली में एक निजी मीडिया संगठन द्वारा आयोजित रक्षा शिखर सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। रक्षा मंत्री ने इस ‘परिप्रेक्ष्य’ को वर्तमान सरकार तथा पिछली सरकार के बीच प्रमुख अंतर बताया और कहा कि इस समय की सरकार भारत के लोगों की क्षमताओं में दृढ़ता से विश्वास करती है, जबकि पहले के वक्त सत्ता में रहने वाले लोग उनकी क्षमताओं के बारे में बहुत हद तक सशंकित थे।
श्री राजनाथ सिंह ने रक्षा विनिर्माण में ‘आत्मनिर्भरता’ को बढ़ावा देने को वर्तमान सरकार द्वारा लाया गया सबसे बड़ा बदलाव करार दिया, जो भारत के रक्षा क्षेत्र को एक नया आकार दे रहा है। उन्होंने आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए रक्षा मंत्रालय द्वारा उठाए गए सुधारात्मक कदमों का उल्लेख किया, जिनमें उत्तर प्रदेश व तमिलनाडु में रक्षा औद्योगिक गलियारों की स्थापना करना; सकारात्मक स्वदेशीकरण सूचियों की अधिसूचना; पूंजीगत खरीद बजट का 75% घरेलू उद्योग के लिए आरक्षित करना; आयुध निर्माणी बोर्ड का निगमीकरण तथा रक्षा उत्कृष्टता के लिए नवाचार (आईडीईएक्स), आईडीईएक्स प्राइम, आईडीईएक्स (एडीआईटीआई) और प्रौद्योगिकी विकास निधि (टीडीएफ) के साथ नवोन्मेषी प्रौद्योगिकियों की इकाईयों का विकास जैसी योजनाएं/पहल शामिल हैं।
श्री राजनाथ सिंह ने इन निर्णयों के कारण रक्षा क्षेत्र पर सकारात्मक प्रभाव पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जो वार्षिक रक्षा उत्पादन वर्ष 2014 में लगभग 40,000 करोड़ रुपये था, वह अब रिकॉर्ड 1.10 लाख करोड़ रुपये को पार कर चुका है। उन्होंने बताया कि रक्षा निर्यात आज 16,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो नौ-दस साल पहले मात्र 1,000 करोड़ रुपये ही था। रक्षा मंत्री ने इस तथ्य का भी उल्लेख किया कि सरकार ने 2028-29 तक 50,000 करोड़ रुपये का निर्यात हासिल करने का लक्ष्य रखा है।
रक्षा मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि देश की जनता के दृष्टिकोण के अनुरूप ही सरकार द्वारा देश की रक्षा प्रणाली को एक नई ऊर्जा से प्रेरित किया गया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इसके परिणामस्वरूप ही भारत एक सशक्त और आत्मनिर्भर सैन्य क्षमता के साथ वैश्विक मंच पर एक शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में उभरा है। श्री सिंह ने कहा कि आज, केंद्र में एक शक्तिशाली नेतृत्व होने के कारण हमारी सेनाओं में दृढ़ इच्छा शक्ति है और हम अपने जवानों का मनोबल ऊंचा रखने की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं। रक्षा मंत्री ने कहा कि भारतीय सैनिक भारत पर बुरी नजर डालने वाले किसी भी शक्ति या व्यक्ति को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए सुसज्जित, सक्षम और तैयार हैं।
श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सरकार ने युवाओं पर भरोसा करते हुए और उनके नवाचार को बढ़ावा देते हुए निजी क्षेत्र को एक आदर्श वातावरण प्रदान किया है। उन्होंने कहा कि यदि हमारे युवा प्रबुद्ध मस्तिष्क वाले युवा एक कदम आगे बढ़ाते हैं, तो हम 100 कदम बढ़ाकर उनकी मदद करेंगे। रक्षा मंत्री ने आश्वासन दिया कि अगर युवा 100 कदम आगे बढ़ेंगे तो हम उन्हें 1,000 कदम आगे ले जाएंगे।
रक्षा मंत्री ने जोर देकर कहा कि जब प्रौद्योगिकी की बात आती है, तो विकासशील देशों के पास दो ही विकल्प होते हैं – ‘नवाचार’ और ‘नकल’, लेकिन भारत सरकार देश को नकल करने के बजाय प्रौद्योगिकी निर्माता बनाने पर विशेष जोर दे रही है। उन्होंने कहा कि विकसित देशों की प्रौद्योगिकी से काम करना उन लोगों के लिए गलत नहीं है, जिनकी नवाचार क्षमता और मानव संसाधन नई प्रौद्योगिकियों के उत्पादन के लिए आवश्यक स्तर तक नहीं पहुंचे हैं। श्री सिंह ने कहा कि यदि कोई राष्ट्र दूसरे देशों की तकनीक की नकल करता है, तब वह पुरानी तकनीक से ही आगे बढ़ता है; लेकिन यहां पर समस्या यह है कि व्यक्ति नकल करने का आदी हो जाता है और वह दोयम दर्जे की प्रौद्योगिकी को ही आगे बढ़ाता है। यह प्रक्रिया ही उन्हें एक विकसित देश से 20-30 साल पीछे चलने के लिए मजबूर करता है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय आत्मविश्वास खोना एक बड़ी समस्या है क्योंकि व्यक्ति हमेशा प्रौद्योगिकी का अनुयायी बना रहता है। यह मानसिकता आपकी संस्कृति, विचारधारा, साहित्य, जीवनशैली और दर्शन में आती है। रक्षा मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी इस अनुयायी मानसिकता को गुलामी की मानसिकता कहते हैं।
श्री राजनाथ सिंह ने भारत को इस तरह की मानसिकता से बाहर निकालना सरकार, मीडिया और बुद्धिजीवियों का परम कर्तव्य बताया। उन्होंने प्रधानमंत्री के स्वतंत्रता दिवस के संबोधन को याद करते हुए कहा कि श्री मोदी ने लोगों से गुलामी की मानसिकता को त्यागने और राष्ट्रीय विरासत पर गर्व महसूस करने की अपील की थी। रक्षा मंत्री ने कहा कि हमें दूसरों के बारे में ज्ञान होना चाहिए, लेकिन हमें अपनी राष्ट्रीय विरासत के बारे में भी जागरूक अवश्य होना चाहिए और इस पर गर्व महसूस करना चाहिए।
श्री राजनाथ सिंह ने औपनिवेशिक मानसिकता को समाप्त करने के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में भी जिक्र किया, जिसमें भारतीय दंड संहिता के स्थान पर भारतीय न्याय संहिता की शुरूआत करना शामिल है। उन्होंने कहा कि हमने देश की संस्कृति में युवाओं का विश्वास बढ़ाया है और हमने भारत में भारतीयता को पुनः जागृत किया है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि हमारे विश्वास ने न केवल इतिहास को देखने के माध्यम को बदल दिया, बल्कि आईआईटी और आईआईएम के साथ-साथ भारत के अन्य प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में पढ़ने वाले युवाओं के सपनों को भी फिर से आशान्वित किया है। उन्होंने कहा कि भारतीय युवा विदेशों में अपने लिए अवसर की तलाश करने के बजाय आज देश के भीतर स्टार्ट-अप और नवाचार के माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था में योगदान दे रहे हैं।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सदियों से भारतीय संस्कृति में प्रचलित सैन्य शक्ति और आध्यात्मिकता के बीच सामंजस्य का उल्लेख करते हुए इस बात पर जोर दिया कि सरकार सेवारत तथा सेवानिवृत्त कर्मियों के साथ-साथ उन लोगों की बेहतरी के लिए लगातार काम कर रही है, जिन्होंने अपने परिवार सहित देश की सेवा में सर्वोच्च बलिदान दिया है। रक्षा मंत्री ने कहा कि सशस्त्र बलों को नवीनतम अत्याधुनिक हथियारों/प्लेटफार्मों के साथ आधुनिक बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमने देश के बहादुरों के बलिदान का सम्मान करने के लिए नई दिल्ली में राष्ट्रीय समर स्मारक की स्थापना की है। श्री राजनाथ सिंह ने यह भी कहा कि इसके अलावा, हमने वन रैंक वन पेंशन योजना लागू की, जो पूर्व सैनिकों की लंबे समय से लंबित मांग थी।