नई दिल्ली, 2 फरवरी। दिल्ली विश्वविद्यालय की संस्कृति परिषद द्वारा 30 जनवरी से 2 फरवरी, 2024 तक विश्वविद्यालय के कॉन्फ्रेंस सेंटर में ‘उपलब्ध प्रकाश में चित्रण और फोटोग्राफी’ पर एक 4 दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया। कार्यशाला के समापन अवसर पर 2 फरवरी को मुख्य अतिथि के रूप में संस्कृति परिषद संचालन समिति के अध्यक्ष अनूप लाठर उपस्थित रहे। उन्होंने 4 दिवसीय कार्यशाला को सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए प्रतिभागियों को बधाई दी। अनूप लाठर ने कहा कि संस्कृति परिषद द्वारा आयोजित इस पहली फोटोग्राफी कार्यशाला के माध्यम से विद्यार्थियों को उद्योग विशेषज्ञों के साथ जुड़ने का एक अनूठा अवसर मिला है।
कार्यशाला का संचालन अंतरराष्ट्रीय स्तर के विख्यात फोटोग्राफर नितिन राय द्वारा किया गया जिन्हें 30 वर्षों से अधिक का अनुभव है और 1993 में निकॉन इंटरनेशनल पुरस्कार के प्राप्तकर्ता भी हैं। 30 जनवरी को कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में पश्चिमी दिल्ली के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट विनय कुमार जिंदल उपस्थित रहे। उन्होंने फोटोग्राफी की दुनिया में अपनी यात्रा और अंडमान में एक पक्षी फोटोग्राफर के रूप में अपने अनुभव को साझा किया। उन्होंने विद्यार्थियों को फोटोग्राफी के विभिन्न क्षेत्रों का पता लगाने और इस क्षेत्र को जुनून के साथ आगे बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित किया, चाहे वह व्यवसाय के रूप में हो या रोजगार के रूप में।
कार्यशाला के दौरान, प्रतिभागियों को कैमरे के विभिन्न बुनियादी कार्यों, संरचना के सिद्धांत, प्रकाश व्यवस्था और चित्रांकन वगैरह सिखाया गया। उन्हें ललित कला रचनात्मक चित्रांकन पर डेमो शूट और रचनात्मक चित्रों पर असाइनमेंट के माध्यम से व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया गया। अंतिम पोर्टफोलियो की समीक्षा के बाद, सर्वश्रेष्ठ तीन छवियों का चयन किया गया और उन्हें प्रथम, द्वितीय और तृतीय स्थान प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया। सभी प्रतिभागियों को सहभागिता प्रमाण पत्र भी दिये गये। प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र डॉ. हेमन्त वर्मा, संयुक्त अधिष्ठाता-संस्कृति परिषद द्वारा सौंपे गये।
प्रो. रविंदर कुमार, डीन, संस्कृति परिषद ने भी विद्यार्थियों को संबोधित किया और जीवन की सुंदरता को कैद करने के एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में फोटोग्राफी की कला के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि छात्रों को पेशेवर फोटोग्राफी की दुनिया से परिचित कराने के लिए इस तरह की कार्यशालाएं महत्वपूर्ण हैं। कार्यक्रम के दौरान संस्कृति परिषद के सदस्य डॉ. रिगज़िन कांग और डॉ. सुकन्या टीकादार भी उपस्थित थे।