16 फरवरी को बुलाये गये राष्ट्रव्यापी भारत बंद को पूर्ण समर्थन का ऐलान
देहरादून,14 फरवरी। उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी द्वारा अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के आह्वान पर देशभर के किसान संघों द्वारा एमएसपी गारंटी, बढ़ती बेरोजगारी एवं केंद्र की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ 16 फरवरी को बुलाये गये राष्ट्रव्यापी भारत बंद को पूर्ण समर्थन का ऐलान किया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष करन माहरा ने सभी जिला एवं महानगर कांग्रेस कमेटियों, ब्लाक व नगर कांग्रेस कमेटियों, पार्टी के अनुषांगिक संगठनों, प्रदेश किसान कांग्रेस पदाधिकारियों, कांग्रेस प्रकोष्ठों एवं विभागों, इंडिया गठबंधन के दलों, छात्रों, युवाओं, बेरोजगारों, महिलाओं, पेंशन भोगियों, छोटे व्यापारियों, ट्रक चालकों, पेशेवर पत्रकारों एवं सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं से आजीविका के इन मुद्दों पर राष्ट्रव्यापी भारत बंद में शामिल होने की अपील की है। उन्होंने प्रदेश कांग्रेस कमेटियों, जिला एवं महानगर कांग्रेस कमेटियों, ब्लाक व नगर कांग्रेस कमेटियों एवं कार्यकर्ताओं से आजीविका के मुद्दों एवं अन्नदाता किसानों के इस बंद में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने हेतु स्थानीय मुद्दों को शामिल करते हुए जनता की आवाज उठाने का आह्वान किया है।
केंद्र की मोदी सरकार द्वारा अपनाई जा रही दमनकारी नीतियों पर बयान जारी करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री करन माहरा ने कहा कि जब भी दुनियां का इतिहास लिखा जाएगा, मोदी सरकार के दस साल के कार्यकाल को किसानों के खिलाफ क्रूरता, बर्बरता, दमन और दंशकाल के रूप में जाना जाएगा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार ने इन दस सालों में हमेशा किसानों, गरीबों, मजदूरों, बेरोजगारों, महिलाओं एवं दबे कुचलों की आवाज को सत्ता के बल पर दबाने का काम किया है। देश के किसानों द्वारा न्याय के लिए आवाज उठाने पर जहां केन्द्र सरकार ने दिल्ली को पुलिस छावनी में तब्दील कर दिया है वहीं भाजपा की हरियाणा, राजस्थान व उत्तर प्रदेश की सरकारों ने बॉर्डर पर किसानों का दमन शुरू कर दिया है। आज, भाजपा की केंद्र सरकार तथा हरियाणा-राजस्थान-उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकारों ने देश की राजधानी दिल्ली को एक ‘पुलिस छावनी’ में तब्दील कर रखा है, जैसे कि किसी दुश्मन ने दिल्ली की सत्ता पर हमला बोल दिया हो। दिल्ली के चौतरफा, खासतौर पर हरियाणा और दिल्ली बॉर्डर पर मंजर क्या हैः- प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भाजपा सरकारों द्वारा किसानों को रोकने के लिए जहाँ दिल्ली की चौतरफा ‘किलेबंदी’ की गई है, वहीं सड़कों पर बड़ी-बड़ी नश्तर और कीलें बिछा दी गई हैं। यही नहीं, हरियाणा की भाजपा सरकार ने रतिया और बुडलाडा रोड के बीच दस फीट गहरी और पंद्रह फीट चौड़ी खाई खोद दी है। पंजाब व हरियाणा के बीच घग्घर नदी के पुल पर लोहे की बड़ी-बड़ी कीलें और नश्तर, कंटीली तारबंदी, बड़े-बड़े सीमेंट के पिलर्स और पुराने वाहनों की चेसियाँ लगा सारी सड़क बंद कर दी गई है। आज देश में चौतरफा ज़ुल्म का आलम है।
अन्नदाता किसान की न्याय की हुंकार से डरी मोदी सरकार एक बार फिर सौ साल बाद अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों 1917 के बिहार में चंपारण के किसान आंदोलन, 1918 में गुजरात के खेड़ा किसान आंदोलन, 1920-21 के अवध में किसान आंदोलन के दमन की याद दिला दी है। करन माहरा ने कहा कि दिल्ली की सत्ता में बैठे क्रूर और अहंकारी सत्ताधारियों से कांग्रेस पार्टी ने सवाल किया है किः क्या मोदी सरकार में अन्नदाता किसान न्याय मांगने देश की राजधानी दिल्ली में नहीं आ सकता? क्या किसान को दिल्ली की परिधि के सौ किलोमीटर तक भी आने की आजादी नहीं है? क्या मोदी सरकार यह मानती और सोचती है कि किसान दिल्ली की सत्ता पर आक्रमण करने आ रहा है या फिर जबरन सत्ता पर कब्जा करना चाहता है? उन्होंने कहा कि देश का अन्नदाता प्रधानमंत्री और देश की सरकार से न्याय न मांगे, तो कहाँ जाए? केन्द्र की मोदी सरकार को देश की जनता को बताना चाहिए कि किसान अपनी न्यायोचित मांगों के लिए कौन सा दरवाजा खटखटाये? जब देश का किसान शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहा है तो फिर किसानों के साथ इस प्रकार की दमनकारी नीति क्यों अपनाई जा रही है। क्या भारत के हुक्मरान को देश की मिट्टी का दर्द, आत्महत्या करते अन्नदाता की वेदना और कराहते हुए हिंदुस्तान की आवाज सुनाई नहीं देती? 18 जुलाई, 2022 को तीन काले कानून वापस लेने के बाद केंद्र की भाजपा सरकार ने ही किसानों के समर्थन मूल्य के लिए एक प्रभावी और पारदर्शी कानून बनाने का वादा किया था। किसान और खेत मजदूर को कर्ज से मुक्ति देने का मार्ग प्रशस्त करने का वादा किया था। किसान को इन वादों की गारंटी मांगने का पूरा अधिकार है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी केन्द्र सरकार से मांग करती है कि केंद्र की मोदी सरकार देश के अन्नदाता को न्याय दें।