एक जुलाई से नये कानून की धाराओं के तहत दर्ज किये जायेगे मामले
देहरादून। एक जुलाई से भारत में तीन नये कानून लागू होने जा रहे है। देश में अपराधिक न्याय प्रणाली को पूरी तरह से बदलने के लिये बनाये गये तीनो नये अपराधिक कानून प्रभावी होंगे। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसकी अधिसूचना जारी कर दी है। इन कानूनों के प्रभावी हो जाने के बाद भीड़, हिंसा, या सामूहिक दुष्कर्म जैसे अपराधों में फांसी की सजा हो सकती है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की ओर से जारी तीन अधिसूचनाओं के अनुसार भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) और भारतीय सा़क्ष्य अधिनियम (बीएसए) औप निवेशिक युग के भारतीय दण्ड संहिता, दण्ड प्रक्रिया संहिता और 1872 के भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेगें।
एक जुलाई से विभिन्न अपराधों के लिये एफआईआर नये कानून की धाराओं के तहत मामले दर्ज किये जायेगे। तीनों कानूनों को विगत वर्ष 21 दिसम्बर को संसद से मंजूरी मिल गयी थी। आईपीसी में 511 धाराएं थी जबकि इसकी जगह लायी गयी भारतीय न्याय संहिता में 358 धाराएं है। सीआरपीसी में 484 धाराएं थी जबकि इसकी जगह लायी गयी भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 धाराएं है। साक्ष्य अधिनियम में 166 धाराएं थी जबकि भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 170 धाराएं है। आईपीसी की धारा 302 के तहत हत्या के मामले में सजा दिये जाने का प्रावधान है। हालांकि नये कानून में हत्या की धारा 101 होगी। धोखाधड़ी के लिये धारा 420 के तहत मुकदमा चलता था अब नये कानून में धोखाधड़ी की धारा 316 होगी। अवैध जमावड़े से संबंधित मुकदमें धारा 144 के तहत चलता है अब नये कानून के अनुसार इस मामले में दोषियों के खिलाफ धारा 187 के तहत मुकदमा चलेगा। आईपीसी की धारा 124ए राजद्रोह के मामले में लगती थी अब नये कानून की धारा 150 के तहत मुकदमा चलेगा राजद्रोह की जगह देशद्रोह का इस्तेमाल किया गया है। लोकतांत्रिक देश में सरकार की आलोचना कोई भी कर सकता है उसका अधिकार है लेकिन अगर कोई देश की सुरक्षा संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का काम करेगा तो उसके खिलाफ देशद्रोह के तहत कार्यवाही होगी और उसे जेल जाना पड़ेगा।
नाबालिकों से दुष्कर्म के लिये आजीवन कारावास या मृत्युदण्ड का प्राविधान किया गया है। सामुहिक दुराचार के मामले में 20 साल की कैद या आजीवन कारावास का प्राविधान किया गया है। हालांकि हिट एण्ड रन से संबंधित धारा तुरंत लागू नहीं होगी। केंद्र सरकार ने भारतीय न्याय संहिता की धारा 106 (2) को फिलहाल स्थगित रखा है यानि हिट एण्ड रन से जुड़े अपराध से संबंधित यह प्राविधान एक जुलाई से लागू नहीं होगा।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता जो सीआरपीसी को रिप्लेस करेगी में अब 533 धाराएं रहेगी। 160 धाराओं को बदल दिया गया है। 9 नई धाराएं जोड़ी गयी है और 9 धाराओं को निरस्त किया गया है। भारतीय न्याय संहिता जो आईपीसी को रिप्लेस करेगी में पहले 511 धाराओं के स्थान पर अब 356 धाराएं होगी। 175 धाराआंे में बदलाव किया गया है। 8 नई धाराएं जो़ड़ी गयी है और 22 धाराओं को निरस्त किया गया है। भारतीय साक्ष्य विधेयक जो एवीडेंस एक्ट को रिप्लेस करेगा। इसमें पहले 167 के स्थान पर अब 170 धाराएं होगी। 23 धाराओं में बदलाव किया गया है। एक नई धारा जोड़ी गयी है और 5 धाराएं निरस्त की गयी है।
हत्या में 302 की जगह धारा 101 होगी। आईपीसी में हत्या से जुड़े अपराध में धारा 302 लगती थी अब यह धारा 101 होगी। वहीं हत्या के प्रयास के लिये आईपीसी में धारा 307 थी जो भारतीय न्याय संहिता में धारा 109 होगी। आईपीसी में धोखाधड़ी या ठगी से जुडा अपराध धारा 420 के तहत आता था नये कानून में यह धारा 316 में आयेगा। आईपीसी में दुष्कर्म मामले में धारा 376 के तहत सजा का प्रावधान था। न्याय संहिता में इससे जुडे़ अपराध को धारा 63 में परिभाषित किया गया है। सामूहिक दुष्कर्म को आईपीसी की धारा 376डी को नये कानून में धारा 70 में शामिल किया गया है।