डीयू में हुआ डॉ के. एल. जोहर की दो पुस्तकों का विमोचन
दिल्ली, 08 मई। भारत पहले स्लेव इंडिया था, फिर हुआ फ्री इंडिया और अब न्यू इंडिया है। इन तीनों को अपने-अपने काल में समाज सुधारक चाहियें थे। अगर उन समाज सुधारकों से सीख कर अपने मन में हम राष्ट्रप्रेम का भाव नहीं ला पाते हैं, तो यह सबसे बड़ी कमी है। यह शब्द दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. योगेश सिंह ने कहे। प्रो. सिंह दिल्ली विश्वविद्यालय के कान्वेंशन हाल में एक पुस्तक विमोचन समारोह में बतौर मुख्यातिथि संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर गुरु जम्भेश्वर विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ के. एल. जोहर की दो पुस्तकों “इंडियाज़ ग्रेटेस्ट रिफॉर्मर्स – 51 एक्स्ट्राऑर्डिनरी स्टोरीज़” और “थ्री स्टैलर रिवॉल्यूशनरीज हू रैटल्ड ब्रिटिश इंडिया” का लोकार्पण किया गया।
प्रो. योगेश सिंह ने कहा कि कहा कि “अक्षर कभी क्षर नहीं होते”, जो पुस्तकें लिखी जाती हैं वे अमर होती हैं। उन्होंने कहा कि ये पुस्तकें भी हमारी प्रेरणा का स्रोत बनेंगी। कुलपति ने डॉ जोहर की पुस्तक “इंडियाज़ ग्रेटेस्ट रिफॉर्मर्स – 51 एक्स्ट्राऑर्डिनरी स्टोरीज़” पर चर्चा करते हुए कहा कि इस पुस्तक में डॉ बीआर अंबेडकर से लेकर विनोबा भावे जैसे 51 महापुरुषों की कहानियाँ संकलित की गई हैं। अधिकतर लोग इनमें से ज़्यादातर महापुरुषों के बारे में जानते तक नहीं। इसलिए ऐसी कहानियों का प्रकाश में आना जरूरी है। जब इन लोगों को बार-बार पढ़ेंगे तो पता चलेगा कि किसी पुस्तक की क्यों जरूरत है। विनोबा भावे 48 हजार किलोमीटर देश में चले और भू-दान में लोगों ने उनके कहने पार 45 लाख एकड़ जमीन दान की। अगर हम इन्हें पढ़ेंगे तो ऐसे चरित्र हमें प्रभावित करेंगे। कुलपति ने डॉ जोहर की दूसरी पुस्तक “थ्री स्टैलर रिवोल्यूशनरीज़ हू रैटल्ड ब्रिटिश इंडिया” के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि इस पुस्तक में बाघा जतिन, रामप्रसाद बिस्मिल और शहीद भगत सिंह पर विस्तृत लेखन किया है। पुस्तक में इन क्रांतिकारियों से जुड़े बहुत से तथ्यों को उजागर किया गया है। प्रो. योगेश सिंह ने डॉ के. एल. जोहर के जज्बे की तारीफ करते हुए कहा कि करीब 11 महीने पहले ही उनकी एक पुस्तक “उत्तर प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानी” का विमोचन भी दिल्ली विश्वविद्यालय में ही हुआ था। 88 वर्ष की उम्र में भी मात्र 8 महीने में दो पुस्तकें लिख देना उनकी बहुत बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने डॉ जोहर के रिक्शा चालक से कुलपति तक के सफर को बहुत ही प्रेरक बताया।
दोनों पुस्तकों के लेखक डॉ के. एल. जोहर ने अपनी पुस्तकों “इंडियाज़ ग्रेटेस्ट रिफॉर्मर्स – 51 एक्स्ट्राऑर्डिनरी स्टोरीज़” और “थ्री स्टैलर रिवॉल्यूशनरीज हू रैटल्ड ब्रिटिश इंडिया” के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि यह उनकी क्रमश: 26वीं और 27वीं पुस्तकें हैं। उन्होंने बताया कि उनकी पहली पुस्तक में डॉ बीआर अंबेडकर से लेकर राजा राम मोहन राय, ईश्वर चंद्र विद्यासागर, कैलाश सत्यार्थी, पद्मश्री उमा तुली, बिंदेश्वर पाठक, महात्मा गांधी, सुभाष चंद्र बोस, सुंदर लाल बहुगुणा और विनोबा भावे जैसी 51 शख़्सियतों के जीवन से जुड़ी घटनाओं को सहेजा गया है। दूसरी पुस्तक “थ्री स्टैलर रिवोल्यूशनरीज़ हू रैटल्ड ब्रिटिश इंडिया” में बाघा जतिन, रामप्रसाद बिस्मिल और शहीद भगत सिंह से जुड़ी कहानियों को तथ्यों सहित सहेजा गया है। उन्होंने पुस्तकों की विषयवस्तु पर विस्तार से चर्चा की।
कार्यक्रम के आरंभ में के. एल. जोहर के पुत्र विक्रम जोहर ने अतिथियों का स्वागत किया और समापन पर उनके दूसरे पुत्र विवेक जोहर ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर कई शिक्षाविदों भी को सम्मानित किया गया। पुस्तक विमोचन समारोह में हरियाणा केन्द्रीय विश्वविद्यालय महेन्द्रगढ़ के कुलपति प्रो. टंकेश्वर कुमार और आईपी विश्वविद्यालय, दिल्ली के कुलपति प्रो. महेश वर्मा तथा शहीद भगत सिंह के भतीजे किरणजीत सिंह ने भी अपने-अपने विचार प्रस्तुत किए। समारोह के दौरान मंच संचालन शहीद भगत सिंह के भानजे प्रो. जगमोहन सिंह द्वारा किया गया। पुस्तक विमोचन समारोह के दौरान डॉ बीआर अंबेडकर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रो. अनु सिंह लाठर, डीयू के डीन ऑफ कॉलेजेज़ प्रो. बलराम पाणी, दक्षिणी परिसर के निदेशक प्रो. श्री प्रकाश सिंह और कुलसचिव डॉ. विकास गुप्ता सहित कई विश्वविद्यालयों के कुलपति एवं अन्य शिक्षाविद उपस्थित रहे।